Thursday, December 26, 2019

क्या इमरान को सऊदी अरब की आपत्ति का अंदाजा नहीं था?

मलेशिया में आयोजित कुआलालंपुर समिट से स्पष्ट हो गया है कि 'मुस्लिम वर्ल्ड' में मतभेद बहुत गहरा है.

इस समिट को लेकर इस्लामिक दुनिया का मतभेद खुलकर सतह पर आया. कुआलालंपुर समिट में पाकिस्तान का जो ढुलमुल रवैया रहा उससे यह भी स्पष्ट हो गया कि वो अपने दायरे से बाहर नहीं जा सकता है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को 19-20 दिसबंर को इस समिट में शामिल होने के लिए मलेशिया जाना था लेकिन उन्हें यह दौरा उसके ठीक दो दिन पहले सऊदी जाने के बाद रद्द करना पड़ा.

सऊदी अरब इस बात से ख़ुश नहीं था क्योंकि मलेशिया सऊदी के नेतृत्व वाले ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी को नया मंच बनाकर चुनौती देने की कोशिश कर रहा था.

यह समिट तब विवादों में घिर गया जब मलेशिया ने सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों को इसमें आमंत्रित करने से इनकार कर दिया. ईरान, तुर्की, क़तर और पाकिस्तान इसमें प्राथमिक तौर पर आमंत्रित किए गए थे. इसके अलावा दुनिया भर के 400 मुस्लिम विद्वानों को भी बुलाया गया था.

मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद पाकिस्तान और तुर्की से इस बात को लेकर चर्चा कर रहे थे कि इस्लामिक दुनिया की चुनौतियों की चर्चा इस समिट में हो. इमरान ख़ान ने न केवल इस समिट को समर्थन दिया था बल्कि उन्होंने इसमें आने के लिए भी हामी भरी थी.

पाकिस्तान के नीति निर्माताओं के बीच यह आम सोच है कि सऊदी के नेतृत्व वाले ओआईसी ने कश्मीर के मामले में भारत के ख़िलाफ़ बिल्कुल समर्थन नहीं दिया. दूसरी तरफ़ ईरान, तुर्की और मलेशिया ओआईसी को सीधे चुनौती देना चाहते हैं कि वो इस्लामिक दुनिया के सेंटिमेंट को समझने और मंच देने में नाकाम रहा है.

वहीं सऊदी अरब ओआईसी के ज़रिए मुस्लिम वर्ल्ड में राजनीतिक और राजनयिक प्रभाव क़ायम रखना चाहता है. अगर मलेशिया, तुर्की और ईरान की कोशिश सफल रही तो आने वाले महीनों में ओआईसी की प्रासंगिकता को गंभीर चुनौती मिलेगी.

सऊदी अरब में भारत के राजदूत रहे तलमीज़ अहमद कहते हैं कि इमरान ख़ान ने पूरे मामले में अपरिपक्वता और अनुभवहीनता का परिचय दिया है. उन्होंने कहा, ''पाकिस्तान आज की तारीख़ में हर मोर्चे पर नाकाम साबित हो रहा है. इमरान ख़ान पर सऊदी अरब ने भयानक दबाव बढ़ा दिया है. पाकिस्तान में 20 फ़ीसदी से ज़्यादा शिया मुसलमानों की आबादी है और ईरान भी शिया मुल्क ही है. ईरान के साथ पाकिस्तान की सीमा लगती है. पाकिस्तान में जब नवाज़ शरीफ़ और ज़रदारी का शासन था तो ईरान से अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश की गई. लेकिन इमरान ख़ान के आने के बाद सऊदी ने दबाव बढ़ा दिया कि वो उसके कहे बिना कुछ कर नहीं सकते हैं.''

तलमीज़ अहमद कहते हैं, ''कुआलालंपुर समिट ओआईसी को सीधी चुनौती थी. मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद की कोशिश रही है कि कोई नया इस्लामिक संगठन बने जो सऊदी अरब की छाया से दूर रहे. ओआईसी पूरी तरह से अप्रभावी हो गया है. यह सऊदी के लालच पूरा करने का ज़रिया है. इसका इस्तेमाल सबसे ज़्यादा ईरान के ख़िलाफ़ होता है. महातिर की कोशिश है कि वो ईरान, तुर्की और क़तर को लेकर कोई नया संगठन खड़ा करें, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल हो. हालांकि ऐसा हो नहीं पाया. इमरान ख़ान कुछ भी संभाल नहीं पा रहे हैं और उन्होंने मलेशिया दौरा रद्द कर बड़ी भूल की है.''

कहा जा रहा है कि मलेशिया, तुर्की, ईरान और पाकिस्तान इस समिट में जम्मू-कश्मीर पर भी चर्चा करने वाले थे. मलेशिया और तुर्की कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में खुलकर भारत के ख़िलाफ़ बोले भी थे. सऊदी को लेकर पाकिस्तान के भीतर कहा जा रहा है कि भारत के साथ उसके अपने हित जुड़े हैं इसलिए कश्मीर मामले में वो ख़ुद बोल नहीं रहा.

कश्मीर मामले में सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों ने पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया. पाकिस्तान में इसे लेकर नाराज़गी भी बढ़ी और विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी को सामने आकर कहना पड़ा कि दोनों देशों के अपने-अपने हित हैं इसलिए कश्मीर उनकी प्राथमिकता में नहीं है. सऊदी ने कश्मीर को लेकर चिंता जताई लेकिन संयुक्त अरब अमीरात ने इसे भारत का आंतरिक मामला क़रार दिया.

भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया तो पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और ईरान खुलकर सामने आए. दूसरी तरफ़ ओआईसी कश्मीर पर भारत को लेकर उदार रहा. इसके उलट सऊदी ने भारत को ओआईसी के मंच पर लाया. ओआईसी को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या वो मुस्लिम वर्ल्ड की समस्याओं और चुनौतियों को गंभीरता से देख रहा है या कुछ देश इसे अपने हित के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं?

पिछले कुछ सालों में ओआईसी यमन में हूती विद्रोहियों की भूमिका की आलोचना करते हुए कह चुका है कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए ख़तरा है. ओआईसी की यह टिप्पणी अप्रत्यक्ष रूप से सीधे ईरान के ख़िलाफ़ थी. ईरान यमन में हूती विद्रोहियों से सहानुभूति रखता है. पाकिस्तान के भीतर कहा जा रहा है कि इमरान ख़ान का सऊदी के दबाव में आकर मलेशिया दौरा रद्द करना उनकी रणनीतिक ग़लती है.

सऊदी इस समिट में पाकिस्तान को नहीं देखना चाहता था. जिस समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जाने की घोषणा की थी उसमें वो अपना एक मंत्री तक नहीं भेज पाया. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे एक बार फिर से साबित हुआ कि पाकिस्तान की विदेश नीति में सऊदी अरब का सबसे बड़ा प्रभाव है.

पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार डॉन ने 18 दिसंबर को अपनी संपादकीय में भी कहा कि इमरान ख़ान का मलेशिया दौरा रद्द करने उनकी बड़ी रणनीतिक चूक है. इस संपादकीय में कहा गया कि इमरान ख़ान ने राजनयिक मोर्चे पर अपरिपक्वता दिखाई है. अख़बार ने लिखा है कि क्या इमरान ख़ान को इस समिट में जाने की घोषणा करते वक़्त सऊदी अरब की आपत्ति का अंदाज़ा नहीं था?

कहा जा रहा है कि पाकिस्तान इसकी भारी क़ीमत चुकाएगा. मलेशिया दौरा रद्द करने के बाद यह बात ज़ोर देकर कही जा रही है कि पाकिस्तान की विदेश नीति में अब भी बाहरी दबाव की भूमिका सबसे प्रभावी है. इसके साथ ही इस बात की भी पुष्टि हो गई है कि ईरान, मलेशिया और तुर्की कश्मीर पर उसके साथ हैं लेकिन यह तय नहीं है कि पाकिस्तान भी उनके साथ रहेगा.

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान स्वतंत्र रूप से ईरान और तुर्की से बिना सऊदी के प्रभाव के बात कर सकता है? अभी पाकिस्तान सऊदी और ईरान में विवादों को सुलझाने की कोशिश कर रहा था. मलेशिया दौरा सऊदी के दवाब में रद्द करने के बाद अब उसकी मध्यस्थता की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं.

पाकिस्तान के समिट में नहीं आने पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोवान ने कहा कि वो सऊदी के दवाब और धमकी के कारण नहीं आया. मलेशिया के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने फ़ोन कर पीएम महातिर मोहम्मद से खेद जताया है.

कुआलालंपुर समिट को शुरू से ही ओआईसी को चुनौती देने के तौर पर देखा गया. इस समिट में महज छह देशों को आमंत्रित किया गया था. ओआईसी के 49 देश सदस्य हैं. इसमें किसी भी अफ़्रीकी देश को नहीं बुलाया गया था. अरब से भी केवल क़तर को ही बुलाया गया था. सऊदी अरब ख़ुद को इस्लामिक दुनिया का स्वाभाविक नेता समझता है.

क़र्ज़ के जाल में उलझे पाकिस्तान को सऊदी अरब ने डिफॉल्टर होने से बचाया था. सऊदी ने कई बार मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान की मदद की है. 2018 में आम चुनाव के बाद जब इमरान ख़ान सत्ता में आए तब पाकिस्तान आर्थिक बदहाली से जूझ रहा था और सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर की मदद की थी.

Tuesday, December 17, 2019

जामिया हो या जेएनयू, पुलिस की आख़िर दिक्क़त क्या है ?

दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ पुलिस ज़्यादती के आरोप लगे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन राजधानी दिल्ली में ये पहला वाक़या नहीं है जब पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं. इससे पहले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने धरने-प्रदर्शन के दौरान मारपीट करने का पुलिस पर आरोप लगाया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

दिल्ली पुलिस, इससे पहले वकीलों के साथ हुई हिंसक झड़पों की वजह से सुर्ख़ियों में आई थी. तब पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर इस घटना के विरोध में प्रदर्शन भी किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दिल्ली पुलिस पर ये कहते हुए तंज़ कसा था कि पुलिसवाले वकीलों से पिट जाते हैं लेकिन जेएनयू के छात्रों पर लाठियां बरसाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये तमाम घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली, उसके प्रशिक्षण और इससे जुड़े कुछ अन्य मुद्दों पर सवाल खड़े करती हैं. इन सवालों में पुलिस की जबावदेही और उसकी कार्यप्रणाली पर कथित राजनीतिक प्रभाव भी शामिल है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस संबंध में हमने भारतीय पुलिस सेवा के दो वरिष्ठ अधिकारियों उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह और अरुणाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक आमोद कंठ से बात की.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस में कई तरह के सुधारों की आवश्यकता है. जनशक्ति की कमी की वजह से पुलिसबल के सामने कई चुनौतयां और ज़िम्मेदारियां हैं. क़ानून-व्यवस्था और जांच-पड़ताल का काम अलग-अलग करना होगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने की ज़रूरत है. पुलिस की जवाबदेही तय करने के लिए पुलिस-शिकायत प्राधिकरण बनाना होगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य में सिक्योरिटी कमीशन बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए थे. इसमें जनता के प्रतिनिधि, मानवाधिकार कार्यकर्ता, न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों के साथ सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने की बात कही गई थी. लेकिन इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हुआ.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस की ट्रेनिंग में बहुत कमी है. कुछेक राज्यों को छोड़कर अधिकतर राज्यों में पुलिस की ट्रेनिंग पुराने ढर्रे पर हो रही है. ट्रेनिंग सेंटर्स में अक्सर उन अधिकारियों को भेजा जाता है जिन्हें सरकार पसंद नहीं करती और वो निराशा के भाव में ट्रेनिंग देते हैं. ऐसे अधिकारी नई पीढ़ी के पुलिसबलों के लिए रोल-मॉडल नहीं बन सकते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-हालिया घटनाओं की तस्वीरें ख़राब ट्रेनिंग का प्रतिबंब है. पुलिस का काम कितना ही तर्कसंगत और न्याय संगत क्यों ना हो, वकीलों के सामने उन्हें मुंह की खानी पड़ती है. वकील नेताओं और न्यायपालिका दोनों को प्रभावित कर लेते हैं, पुलिस बीच में पिस जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के जो वीडियो सामने आए हैं, वो भी पुलिस की अपर्याप्त ट्रेनिंग का नतीजा है. पुलिस की कार्यप्रणाली में किसी जादू की छड़ी से फ़ौरन सुधार नहीं किया जा सकता.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-संसाधनों की कमी, जनशक्ति की कमी तमाम दिक्कतों के बावजूद पुलिस यदि अच्छी ट्रेनिंग के साथ पूरी ईमानदारी से काम करे तो जनता भी धीरे-धीरे पुलिस की दिक़्कतें समझेगी. जनता पुलिस से इतनी भी असंतुष्ट नहीं है जितना मीडिया में कुछ घटनाओं के संबंध में बताया जाता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-भीड़ पर क़ाबू पाने में और हिंसक प्रदर्शनों से ठीक से निपटने में दिल्ली पुलिस कई बार नाकाम रही है. साल 1984 के दंगे और उसके बाद हुई कई घटनाएं इसका सबूत हैं. लेकिन दिल्ली पुलिस की ट्रेनिंग ठीक है और उसे इस तरह की घटनाओं से निपटने के मौके मिलते रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए ठीक से तैयारी करने, सही रणनीति बनाने और लोगों के साथ संबंध बनाने के लिए हर वक्त सुधार की ज़रूरत है. मौजूदा हालात की बात करें तो मुद्दा राजनीतिक है, जिसे बनाया गया है. लोगों में भावनाएं उमड़ रही हैं. प्रदर्शन हिंसक हो रहे हैं. ऐसे में पुलिस के पास बहुत अधिक विकल्प नहीं हो सकते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस यदि किसी को पीट रही है या डंडे से मार रही है, और वो तस्वीर या वीडियो वायरल हो जाता है, तो हमें ये भी देखने की ज़रूरत है कि उस तस्वीर या वीडियो के आसपास क्या हालात थे, तस्वीर का वो हिस्सा बाहर नहीं आता. पुलिस जिस स्थिति, जिस तनाव से गुज़रती है, वो हमें नज़र नहीं आता.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-तस्वीर या वीडियो में वही सामने आता है जिसमें मानवीय पहलू दिख रहा है, लेकिन सही मायने में पूरी तस्वीर तब पता चलती है जब जांच पूरी होती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस की ट्रेनिंग में सुधार की ज़रूरत से इंकार नहीं किया जा सकता, तमाम पहलुओं के हिसाब से ट्रेनिंग की ज़रूरत हमेशा बनी रहती है. भीड़ को क़ाबू करना बहुत कठिन होता है, भीड़ का एक अलग मनोविज्ञान होता है. इसमें फॉर्मूले बहुत कारग़र नहीं होते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में अपने फ़ैसले में कई सुधारों के लिए दिशा-निर्देश दिया था. सिक्योरिटी कमीशन उसका एक पहलू था, और भी कई आयाम थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिसबल में बुनियादी सुधारों की बात हुई, लेकिन देश के अधिकतर हिस्सों में इस पर काम नहीं हुआ. पुलिस सुधार हो नहीं पाए. साल 1861 का पुलिस एक्ट पुराना हो चुका है. लेकिन पुलिस आज भी इसी के मुताबिक काम कर रही है.मुक्त अश्ली सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस को स्वतंत्र और जबावदेह बनाने की ज़रूरत है. क़ानून-व्यवस्था का मामला हो या जांच-पड़ताल का, पुलिस को स्वतंत्र और हर तरह के दबाव से मुक्त करना होगा. पुलिस की जवाबदेही किसी नेता के प्रति नहीं बल्कि 'रूल ऑफ लॉ' के प्रति होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-जिन हालात में पुलिसबल काम कर रहे हैं, उनमें उनके भीतर असंतोष होना लाज़मी है. पुलिसवालों को भी बाक़ी लोगों की तरह अपने घर-परिवार के साथ वक्त गुजारने का समय मिलना चाहिए ताकि वो सामान्य जीवन जी सकें.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ पुलिस ज़्यादती के आरोप लगे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन राजधानी दिल्ली में ये पहला वाक़या नहीं है जब पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं. इससे पहले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने धरने-प्रदर्शन के दौरान मारपीट करने का पुलिस पर आरोप लगाया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

दिल्ली पुलिस, इससे पहले वकीलों के साथ हुई हिंसक झड़पों की वजह से सुर्ख़ियों में आई थी. तब पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर इस घटना के विरोध में प्रदर्शन भी किया था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दिल्ली पुलिस पर ये कहते हुए तंज़ कसा था कि पुलिसवाले वकीलों से पिट जाते हैं लेकिन जेएनयू के छात्रों पर लाठियां बरसाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये तमाम घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली, उसके प्रशिक्षण और इससे जुड़े कुछ अन्य मुद्दों पर सवाल खड़े करती हैं. इन सवालों में पुलिस की जबावदेही और उसकी कार्यप्रणाली पर कथित राजनीतिक प्रभाव भी शामिल है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस संबंध में हमने भारतीय पुलिस सेवा के दो वरिष्ठ अधिकारियों उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह और अरुणाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक आमोद कंठ से बात की.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस में कई तरह के सुधारों की आवश्यकता है. जनशक्ति की कमी की वजह से पुलिसबल के सामने कई चुनौतयां और ज़िम्मेदारियां हैं. क़ानून-व्यवस्था और जांच-पड़ताल का काम अलग-अलग करना होगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने की ज़रूरत है. पुलिस की जवाबदेही तय करने के लिए पुलिस-शिकायत प्राधिकरण बनाना होगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य में सिक्योरिटी कमीशन बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए थे. इसमें जनता के प्रतिनिधि, मानवाधिकार कार्यकर्ता, न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों के साथ सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने की बात कही गई थी. लेकिन इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हुआ.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस की ट्रेनिंग में बहुत कमी है. कुछेक राज्यों को छोड़कर अधिकतर राज्यों में पुलिस की ट्रेनिंग पुराने ढर्रे पर हो रही है. ट्रेनिंग सेंटर्स में अक्सर उन अधिकारियों को भेजा जाता है जिन्हें सरकार पसंद नहीं करती और वो निराशा के भाव में ट्रेनिंग देते हैं. ऐसे अधिकारी नई पीढ़ी के पुलिसबलों के लिए रोल-मॉडल नहीं बन सकते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-हालिया घटनाओं की तस्वीरें ख़राब ट्रेनिंग का प्रतिबंब है. पुलिस का काम कितना ही तर्कसंगत और न्याय संगत क्यों ना हो, वकीलों के सामने उन्हें मुंह की खानी पड़ती है. वकील नेताओं और न्यायपालिका दोनों को प्रभावित कर लेते हैं, पुलिस बीच में पिस जाती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के जो वीडियो सामने आए हैं, वो भी पुलिस की अपर्याप्त ट्रेनिंग का नतीजा है. पुलिस की कार्यप्रणाली में किसी जादू की छड़ी से फ़ौरन सुधार नहीं किया जा सकता.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-संसाधनों की कमी, जनशक्ति की कमी तमाम दिक्कतों के बावजूद पुलिस यदि अच्छी ट्रेनिंग के साथ पूरी ईमानदारी से काम करे तो जनता भी धीरे-धीरे पुलिस की दिक़्कतें समझेगी. जनता पुलिस से इतनी भी असंतुष्ट नहीं है जितना मीडिया में कुछ घटनाओं के संबंध में बताया जाता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-भीड़ पर क़ाबू पाने में और हिंसक प्रदर्शनों से ठीक से निपटने में दिल्ली पुलिस कई बार नाकाम रही है. साल 1984 के दंगे और उसके बाद हुई कई घटनाएं इसका सबूत हैं. लेकिन दिल्ली पुलिस की ट्रेनिंग ठीक है और उसे इस तरह की घटनाओं से निपटने के मौके मिलते रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए ठीक से तैयारी करने, सही रणनीति बनाने और लोगों के साथ संबंध बनाने के लिए हर वक्त सुधार की ज़रूरत है. मौजूदा हालात की बात करें तो मुद्दा राजनीतिक है, जिसे बनाया गया है. लोगों में भावनाएं उमड़ रही हैं. प्रदर्शन हिंसक हो रहे हैं. ऐसे में पुलिस के पास बहुत अधिक विकल्प नहीं हो सकते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस यदि किसी को पीट रही है या डंडे से मार रही है, और वो तस्वीर या वीडियो वायरल हो जाता है, तो हमें ये भी देखने की ज़रूरत है कि उस तस्वीर या वीडियो के आसपास क्या हालात थे, तस्वीर का वो हिस्सा बाहर नहीं आता. पुलिस जिस स्थिति, जिस तनाव से गुज़रती है, वो हमें नज़र नहीं आता.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-तस्वीर या वीडियो में वही सामने आता है जिसमें मानवीय पहलू दिख रहा है, लेकिन सही मायने में पूरी तस्वीर तब पता चलती है जब जांच पूरी होती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस की ट्रेनिंग में सुधार की ज़रूरत से इंकार नहीं किया जा सकता, तमाम पहलुओं के हिसाब से ट्रेनिंग की ज़रूरत हमेशा बनी रहती है. भीड़ को क़ाबू करना बहुत कठिन होता है, भीड़ का एक अलग मनोविज्ञान होता है. इसमें फॉर्मूले बहुत कारग़र नहीं होते.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में अपने फ़ैसले में कई सुधारों के लिए दिशा-निर्देश दिया था. सिक्योरिटी कमीशन उसका एक पहलू था, और भी कई आयाम थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिसबल में बुनियादी सुधारों की बात हुई, लेकिन देश के अधिकतर हिस्सों में इस पर काम नहीं हुआ. पुलिस सुधार हो नहीं पाए. साल 1861 का पुलिस एक्ट पुराना हो चुका है. लेकिन पुलिस आज भी इसी के मुताबिक काम कर रही है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-पुलिस को स्वतंत्र और जबावदेह बनाने की ज़रूरत है. क़ानून-व्यवस्था का मामला हो या जांच-पड़ताल का, पुलिस को स्वतंत्र और हर तरह के दबाव से मुक्त करना होगा. पुलिस की जवाबदेही किसी नेता के प्रति नहीं बल्कि 'रूल ऑफ लॉ' के प्रति होना चाहिए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

-जिन हालात में पुलिसबल काम कर रहे हैं, उनमें उनके भीतर असंतोष होना लाज़मी है. पुलिसवालों को भी बाक़ी लोगों की तरह अपने घर-परिवार के साथ वक्त गुजारने का समय मिलना चाहिए ताकि वो सामान्य जीवन जी सकें.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

Monday, December 9, 2019

英国女子心跳骤停6小时后死而复生创造医学奇迹

英国女子奥德丽·斯库曼(Audrey Schoeman)在心脏停止跳动6个小时后生还,医生形容这是一个“特例”,堪称医学奇迹。

医生说,这是在西班牙医学史上有记录记载的,最长时间的心脏骤停复活的病例。

目前,奥德丽几乎已经完全康复。她表示,希望明年春天还会继续自己喜爱的徒步旅行运动。

原来,34岁的奥德丽生活在西班牙的巴塞罗那。上个月她与丈夫一道在西班牙著名的比利牛斯山脉(the Spanish Pyrenees)徒步旅行时遭遇暴风雪,奥德丽出现了严重的失温症(或叫低温症,severe hypothermia)。

一开始,奥德丽现出现了说话和行动困难, 后来就失去了知觉。

之后, 奥德丽的情况急剧恶化,在等待急救人员到来期间,奥德丽的丈夫罗恩相信妻子已经死亡,不报任何希望了。

因为,当时罗恩已经摸不到奥德丽的任何脉搏,也感觉不到她的呼吸与心跳了。

当急救人员2小时后赶来时,奥德丽的体温已经降到18度。

在抵达巴塞罗那瓦尔德西布伦大学医院(Barcelona's Vall d'Hebron Hospital)时,奥德丽已经失去了生命体征。

然而,根据抢救奥德丽的阿古多医生( Eduard Argudo )说,当地暴风雪所导致的低温天气,既是导致奥德丽出现失温症,继而出现心脏停跳的原因,同时也为拯救奥德丽的性命助了一臂之力。

阿古多医生在一份声明中表示,奥德丽看上去就跟死去了一样。

“但是,我们知道正是由于失温症,奥德丽有复活的机会,” 阿古多医生说。

阿古多医生表示,在奥德丽昏迷期间,正是失温症帮助保护了她的身体和大脑。

当然,阿古多医生说,奥德丽也为此差点丧命。

阿古多医生解释说,如果是在正常情况下(即在正常体温情况下),出现如此长时间的心脏骤停,一般是必死无疑了。

参与抢救奥德丽的医生们借助专门医疗设备,先抽换掉奥德丽的血液,然后往血液中充入氧气,之后再把血液重新注入她体内。

当她体温升到30摄氏度的时候,医生用除颤器(defibrillator)让她的心脏恢复了跳动。这一过程距离从奥德丽丈夫拨叫紧急救援服务时已经有6个小时。

奥德丽在医院中只住了12天就出院了,除了一些行动上和手敏感度等一些小问题外,别的几乎完全恢复正常。

阿古多医生表示,他们当时非常担心任何神经系统的受损,尤其是之前从来没有过心脏骤停如此之长的先例。

奥德丽在恢复健康后表示,她对在这6个小时当中所发生的事没有任何记忆。

“我真不知道到底发生了什么事,只知道醒来后躺在重症监护病房里,”奥德丽说。

但是,奥德丽表示,自那之后她试图阅读有关失温症的一些信息。她表示,自己能活过来真的令人难以置信。

她同时表示,自己非常幸运,她向参与抢救她的医护人员致以敬意。

她说,这好像是个奇迹,但是,这一切都归功于救治她的医生们。

德丽说,今年冬天自己不会再到山中徒步旅行了。

“但是,我希望明年春天我们将可以再去徒步旅行。我不希望让这次的经历给我喜爱的徒步旅行运动带来任何影响,”她说。

Monday, December 2, 2019

जया बच्चन: हैदराबाद घटना के दोषियों की हो 'लिंचिंग'

हैदराबाद के नज़दीक 27 वर्षीय वेटरेनरी डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने कहा है कि इसमें शामिल लोगों की लिंचिंग (पीट-पीटकर मार डालना चाहिए) होनी चाहिए.

सोमवार को समाजवादी पार्टी सांसद जया बच्चन ने कहा, "मैं जानती हूं कि यह बहुत कठोर है लेकिन इस तरह के लोगों को जनता के सामने लाना चाहिए और पीट-पीटकर मार डालना चाहिए."

दूसरी पार्टियों के कई सांसदों ने भी इस घटना की निंदा की है.

बीते सप्ताह हुई इस घटना में सामूहिक बलात्कार के बाद युवती को ज़िंदा जला दिया गया था जिसके बाद से देशभर में कई जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं.

पुलिस का कहना है कि उसने सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में चार लोगों को गिरफ़्तार किया है.

सोमवार को इस घटना के ख़िलाफ़ लोगों का ग़ुस्सा सड़कों के साथ-साथ संसद में भी देखने को मिला. कई सांसदों ने सरकार से पूछा कि वो महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या कर रही है.

महिला अधिकारों के मुद्दों पर बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री और सांसद जया बच्चन काफ़ी मुखर रही हैं और सांसदों के साथ उन्होंने पीड़िता के लिए इंसाफ़ की मांग की.

उन्होंने कहा, "मैं मानती हूं कि यह समय है जब जनता सरकार से उचित और निश्चित जवाब मांग रही है."

तमिलनाडु से आने वाली सांसद विजिला सत्यानंद ने कहा कि देश महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है, उन्होंने मांग की कि 'अपराध करने वाले चारों लोगों को 31 दिसंबर से पहले फांसी दी जाए. न्याय में देरी होना न्याय से वंचित होना है.'

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह हरकत पूरे देश के लिए एक शर्म की बात है जिसने सबको दुख दिया है और उन्होंने कहा कि इस घटना की निंदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद जो नए क़ानून बनाए गए थे उसके बाद से उम्मीद थी कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध कम होंगे हालांकि ऐसा हुआ नहीं.

राजनाथ सिंह ने कहा, "महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों के मुद्दों पर बात करने के लिए सरकार तैयार है और इस तरह की घटनाओं के लिए कड़े क़ानून बनाने के बारे में सोच सकती है."

बुधवार को शाम 6 बजे के क़रीब डॉक्टर को दिखाने के लिए युवती घर से निकली थी.

इसके बाद उन्होंने अपनी बहन को फ़ोन करके कहा कि उनकी स्कूटी पंक्चर हो गई है और एक ट्रक ड्राइवर ने उनकी मदद करने की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि वो टोल प्लाज़ा के पास इंतज़ार कर रही हैं.

इसके बाद युवती से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका पता नहीं चला. अगली सुबह गुरुवार को फ़्लाइओवर के नज़दीक एक दुध वाले ने उनका जला हुआ शव पाया.

भारतीय क़ानून के हिसाब से रेप पीड़िता की मौत के बाद भी उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है लेकिन शुक्रवार को युवती के नाम से एक हैशटैग टॉप ट्रेंड कर रहा था जिसमें उनके लिए न्याय की मांग की गई थी.

उनकी लिए जो न्याय की मांग कर रहे थे वो उनकी तस्वीर भी शेयर कर रहे थे.

Thursday, November 21, 2019

प्रज्ञा ठाकुर: मालेगाँव ब्लास्ट की अभियुक्त रक्षा समिति में

ध्य प्रदेश के भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की 21 सदस्यीय संसदीय सलाहकार समिति में शामिल किया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिति की अध्यक्षता करेंगे.

प्रज्ञा ठाकुर को समिति का सदस्य बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने इसे देश का अपमान बताया है.

प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 के मालेगाँव ब्लास्ट मामले में अभियुक्त हैं. फिलहाल वो स्वास्थ्य कारणों से ज़मानत पर बाहर हैं.

कांग्रेस ने उनके चयन को लेकर अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, "आतंक की अभियुक्त और गोडसे की कट्टर समर्थक प्रज्ञा ठाकुर को बीजपी ने रक्षा मामलों पर संसदीय समिति के सदस्य के तौर पर नामित किया है. यह क़दम हमारे देश के सुरक्षा बलों, माननीय सांसदों और हर भारतीय का अपमान है."

कांग्रेस ने ये भी लिखा, "आख़िरकार मोदी जी ने प्रज्ञा ठाकुर को दिल से माफ़ कर ही दिया! आतंकवादी हमले की अभियुक्त को रक्षा मंत्रालय की समिति में जगह देना उन वीर जवानों का अपमान है, जो आतंकवादियों से देश को महफ़ूज रखते हैं."

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसे बयान के लिए वो उन्हें कभी दिल से माफ़ नहीं कर पाएंगे.

इस समिति में राजनाथ सिंह के अलावा फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, ए राजा, सुप्रिया सुले, मीनाक्षी लेखी, राकेश सिंह, शरद पवार, सौगत रॉय और जेपी नड्डा भी हैं.

कांग्रेस सचिव प्रणव झा ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से कहा है कि बीजेपी को इस फ़ैसले पर फिर से विचार करना चाहिए.

उन्होंने ये भी कहा कि जिन लोगों के ख़िलाफ़ कोर्ट में मामला चल रहा है उन्हें समिति में लाना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. सब कुछ संविधान के निर्देशन में नहीं होता कुछ फ़ैसले नैतिक आधार पर भी लेने होते हैं.

बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य रह चुकी हैं.

उन्होंने इस साल लोकसभा चुनाव में भोपाल से जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को हराया था. वे अपने बयानों को लेकर विवादों में भी रही थीं.

साल 2008 के मालेगाँव ब्लास्ट में वे अभियुक्त भी हैं.

महाराष्ट्र के मालेगाँव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे.

इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी. एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक़ यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी.

इस मामले में एनआईए कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को ज़मानत दे दी थी लेकिन उन्हें दोषमुक्त नहीं माना था और दिसंबर 2017 में दिए अपने आदेश में कहा था कि प्रज्ञा पर यूएपीए (अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेंशन एक्ट) के तहत मुक़दमा चलता रहेगा.

प्रज्ञा ठाकुर पर समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले के अभियुक्त सुनील जोशी की हत्या का आरोप भी लगा था. जोशी की 29 दिसंबर 2007 को हत्या कर दी गई थी.

अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में भी प्रज्ञा ठाकुर का नाम आया था लेकिन अप्रैल 2017 में एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर, आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार और दो अन्य के ख़िलाफ़ राजस्थान की स्पेशल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी.

इसी साल सांसद बनने के बाद उन्होंने सिहोर में अपने कार्यकर्ताओं से कहा था, ''ध्यान से सुन लो, हम नाली साफ़ करवाने के लिए नहीं बने हैं. आपका शौचालय साफ़ कराने के लिए बिल्कुल नहीं बनाए गए हैं. हम जिस काम के लिए बनाए गए हैं वो काम हम ईमानदारी से करेंगे.'' ये बातें कहते हुए साध्वी प्रज्ञा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
इससे पहले वह नाथूराम गोडसे पर दिए गए बयान को लेकर चर्चा में आई थीं. उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था जिसके बाद पीएम मोदी ने कहा था कि इस तरह का बयान देने वाले को वो मन से माफ़ नहीं कर पाएंगे.
प्रज्ञा ठाकुर के लोकसभा में सांसद के तौर शपथ लेते वक़्त भी काफ़ी विवाद हुआ था. तब उन्होंने संस्कृत में शपथ लेते हुए अपने गुरु का नाम लिया था.
एक चुनावी सभा के दौरान प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा था कि उनके श्राप से हेमंत करकरे की मौत हुई. इस पर भी काफ़ी विवाद हुआ. बाद में उन्होंने अपने बयान को वापस लेते हुए कहा था कि यह उनकी व्यक्तिगत पीड़ा थी जो उन्होंने कही थी. वह करकरे को 'शहीद' मानती हैं क्योंकि आतंकवादियों की गोली से वह मारे गए थे